पटना(एहतेशाम) : बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा इंटरस्तरीय (12वीं) पदों के लिए ली जाने वाली प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग करने वाली लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की खण्डपीठ ने लोकसभा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की ओर से दायर लोकहित याचिका पर गुरूवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुनील कुमार ने अदालत को बताया गया की बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा इंटर स्तरीय पदों के लिए ली गयी दो चरणों की प्रारंभिक परीक्षा के पर्चा लीक में सूबे के वरिष्ठ प्रशासनिक पदाधिकारी, राजनेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है. इसलिए मामले की निष्पक्ष जांच राज्य सरकार की पुलिस द्वारा किया जाना संभव नहीं है. इस लिए मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया जाय.
गौरतलब है कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग यानी बीएसएससी की इंटर (12वीं) स्तरीय पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्न-पत्र और उसके उत्तर लीक होने के मामले में अहम सबूत मिलने के बाद बिहार सरकार ने परीक्षा रद्द कर दिया था. मामले की जांच में जुटी विशेष जांच टीम ने आयोग के सचिव परमेश्वर राम तथा आयोग के डाटा एंट्री ऑपरेटर अविनाश कुमार को गिरफ्तार किया था. सरकार ने भी इस प्रकरण पर तुरंत कदम उठाते हुए, हो चुकी तथा होने वाली परीक्षा को रद्द कर दिया था.
बता दें कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने इंटर स्तरीय पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा के लिए चार तारिखों का ऐलान किया था. दो परीक्षाएं 29 जनवरी और पांच फरवरी को हो चुकी थीं, जबकि अन्य परीक्षाएं 19 फरवरी और 26 फरवरी को होनी थी.
पहले दो चरणों में हुई परीक्षा के प्रश्न-पत्र और उनके उत्तर सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे. लेकिन आयोग ने किसी भी तरह की लीकेज मानने से इंकार कर दिया था. जबकि पेपर देने आए छात्रों ने सोशल मीडिया पर वायरल प्रश्न-पत्रों में एक सेट को सही बताया था. छात्रों ने परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया.
छात्रों का हंगामा बढ़ता देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को पूरे मामले की जांच करने के निर्देश दिए थे. मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अगुआई में एक जांच दल गठित किया गया और जगह-जगह छापेमारी की गई और आयोग के सचिव सहित कई अन्य लोगों को गिरफ्तार किया.