पटना : लाइव सिटीज की स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम की पड़ताल पर आज गुरुवार को लग गई मुहर . कंफर्म हो गया कि बिहार बोर्ड के 12वीं का आर्ट्स टॉपर गणेश कुमार का रिजल्ट फर्जी है . जिस संगीत विषय की पढ़ाई और परीक्षा में गणेश 100 में 83 अंक हासिल कर बिहार का टॉपर बन गया,उसमें तो वह विषय का बेसिक भी नहीं जानता है . सुर-ताल और अंतरा-मुखरा के बारे में भी जानकारी नहीं है . खुद कहता है कि अधिक नंबर लाने के लिए संगीत विषय की परीक्षा में शामिल हो गया था .
30 मई को 12वीं बोर्ड के नतीजों के एलान के बाद गणेश भूमिगत हो गया था . आज 1 जून को वह समस्तीपुर के चकहबीब के अपने स्कूल में प्रकट हुआ . स्कूल पहुंचते ही मीडिया ने घेर लिया . बताते चलें कि चकहबीब का स्कूल भाजपा नेता जवाहर प्रसाद सिंह और उनके प्रिंसिपल बेटे अभितेंद्र का है . इस स्कूल को बेहद खस्ताहाल में रहने के बाद भी 2013 में बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड के चेयरमैन प्रो. राजमणि सिंह ने संबद्धता प्रदान कर दी थी . कुछ लोग इस स्कूल को परीक्षा पास कराने की नई खुली फर्जी फैक्ट्री भी मानते हैं .
आपको बताते चलें कि नतीजे के दिन से ही लाइव सिटीज की स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम लगातार टॉपर की असलियत की जांच कर रही थी . साइंस और कामर्स के टॉपर में कोई झोल नहीं मिला था . पर, आर्ट्स के टॉपर गणेश कुमार की असलियत पर जांच आगे बढ़ गई और लगातार खुलासे होते रहे . बड़ा सवाल था कि झारखंड के गिरिडीह से गणेश पढ़ने और परीक्षा देने समस्तीपुर के सुदूर देहात गांव में क्यों आया था .
लाइव सिटीज ने कभी भी गणेश की पूर्ण योग्यता पर सवाल पैदा नहीं किया,पर जांच में यह पाया कि रिजल्ट गड़बड़ है और इसमें स्कूल की मिलीभगत है . गणेश की तलाश लगातार जारी थी . वह किसी को नहीं मिल रहा था . कहा जा रहा था कि फोन भी उसके पास नहीं है . पर आज सुबह वह समस्तीपुर में बैकपैक के साथ स्कूल पहुंच गया . तुरंत मीडिया पहुंची . लाइवसिटीज की टीम भी सच जानने को ऑन स्पॉट थी . प्रिंसिपल अभितेंद्र भी आ चुके थे .
अब मीडिया और लाइवसिटीज की टीम ने गणेश से सवाल-जवाब शुरु किया . उसने कहा,परिवार की स्थिति ठीक नहीं है . कई वर्ष पहले पिताजी गुजर गये थे . हालत और खराब हो गई . छोटी-सी दुकान खोली,पर काम नहीं चला . मैट्रिक करने समस्तीपुर आ गया . दूसरे स्कूल से परीक्षा पास की . गणेश नहीं बता पाया कि स्थायी तौर पर समस्तीपुर में कहां रहता था . फिर 12वीं करने को चकहबीब में एडमिशन लिया . क्लास करने आने की बात गणेश करता है,पर नियमित का दावा पूर्ण नहीं है .
पहले दिन से ही यह क्लियर था कि गणेश के म्यूजिक के रिजल्ट में झोल है . कारण कि समस्तीपुर के देहात के इस स्कूल में म्यूजिक की शानदार छोड़ दें नाममात्र की पढ़ाई का भी कोई रिकार्ड नहीं मिल रहा था . दूसरों का हक मारकर गणेश स्टेट टॉपर इसलिए बन गया दिख रहा था, क्योंकि उसे म्यूजिक की थ्योरी में 18 और प्रैक्टिकल में 65 अंक मिलाकर कुल 83 अंक आ गये थे .
दूसरे विषयों में भी गणेश को अच्छे अंक आये हैं . आज बातचीत में गणेश दूसरे विषयों की जानकारी के बारे में ठीक-ठाक जवाब देता रहा,पर संगीत में असलियत खुल ही गई . उसने कहा भी कि विशेष तौर पर संगीत नहीं जानता . जैसे दूसरे सभी जानते हैं,मैं भी जानता हूं . फिर इतना नंबर कैसे,गणेश ठीक जवाब नहीं दे पाया . बकौल गणेश अच्छे नंबर मिलने के लोभ से ही उसने परीक्षा में संगीत विषय को चुना था . गणेश का यह चुनाव साफ तौर पर स्कूल और एग्जामिनर को लपेट रहा है .
लाइव सिटीज और मौजूद मीडिया ने जब टॉपर गणेश से संगीत विषय के बहुत ही बेसिक सवाल पूछे तो वह लड़खड़ाने लगा . कोई जवाब रिजल्ट को सही नहीं ठहरा रहा था . सुर – ताल और अंतरा – मुखरा का भी पता गणेश को ठीक से नहीं है . गाने में कोई लय-ताल नहीं है . गाने पर जब ढ़ोलक बजाने को कहा गया,तो वह बस यूं ही ढ़ोलक पर थाप देते रहा .
अब आगे देखना बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड को है,जो परीक्षा और मूल्यांकन में सख्ती की बात कर रहा था . देखना होगा कि बगैर संगीत की जानकारी में 83 नंबर लाने वाले गणेश के रिजल्ट पर बोर्ड क्या निर्णय लेती है . सही निर्णय हुआ तो टॉपर बदलेगा .