लाइव सिटीज डेस्क (मधुबन सिंह) : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कौन-सी अदा ऐसे लोगों को अच्छी नहीं लगती है, जो नरेंद्र मोदी को पसंद मगर शाह को नापसंद करते हैं. राहत की बात यह है. अदा की खोज हो चुकी है-वह है उनकी बाॅडी में जरूरत से अधिक एरोगेंसी. समय रहते उन्होंने बदलाव शुरू कर दिया है. दिल्ली स्थित भाजपा राष्ट्रीय कार्यालय में नियमित जाने वाले पत्रकार और वहां तैनात कर्मचारी इसे महसूस कर रहे हैं. ऐसे लोग बताएंगे-शाह अब मुस्कुराते हैं. हंसी मजाक भी करते हैं. इससे पहले वे हमेशा गंभीर या अकड़ में रहते थे. किसी ने पसंद न आनेवाली बात कह दी, तो उनका अंदाज मजाक उड़ाने या धमकाने वाला होता था.
कैसे नोटिस में आया बदलाव
पिछले सप्ताह भाजपा कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में शाह बदले बदले नजर आए. सम्मेलन कक्ष में नई व्यवस्था की गई है. पहले इलेक्ट्राॅनिक चैनल के कैमरामैन और प्रेस फोटोग्राफर के बीच झड़प हो जाती थी. इससे बचने के लिए मंच के ठीक सामने की जमीन को खोद दिया गया है. इस हिस्से में खड़े होकर अगर फोटो लिया जाए तो चैनल के कैमरामैन को लाइव करने में परेशानी नहीं होती है. प्रेस कांफ्रेंस के शुरू होते ही शाह ने फोटोग्राफरों से मजाक किया-आप लोगों के लिए गडढ़ा खुदवा दिया गया है. गडढ़े में आ जाइए. शाह के आग्रह का अंदाज ऐसा था कि मीडियाकर्मी नाराज होने के बदले हंसने लगे. कह सकते हैं कि उनके किसी प्रेस कांफ्रेंस की पहली हसीन शुरुआत थी.
यह फोटो काम नहीं आएगा
केंद्र सरकार की तीन साल की उपलब्धियों को बताने के लिए आयोजित इस प्रेस कांफ्रेंस में शाह एक बार भी विचलित नहीं हुए. एक समय आया कि उन्हें गर्मी सताने लगी. माथे पर पसीने की बूंदें छलछला आई थीं. पसीना पोछ रहे थे. तभी कैमरे चमक उठे. शाह ने इस अवसर पर भी मजाक किया. बोले-यह फोटो दस साल बाद ही आपके काम आएगा. कम से कम दस साल तक हम कोई चुनाव हारने नहीं जा रहे हैं. भाजपा की जीत का सिलसिला कायम रहेगा. सो, पसीना पोछने वाली तस्वीर न लें, यही बेहतर है.
क्यों चेंज हो रहा बाॅडी लैंग्वेज
खबर है कि शाह ने अपने व्यक्तित्व के बारे में फीडबैक लेने की जिम्मेवारी किसी पीआर एजेंसी को दी थी. इसी एजेंसी ने सुझाया कि आम लोगों को आपकी बाॅडी में एरोगेंसी का हिस्सा कुछ अधिक ही नजर आता है. अबतक के चुनावों की जीत के लिए यह ठीक रहा होगा. अब जबकि सरकार अपने पहले कार्यकाल के ढलान पर है, यह बाॅॅडी लैंग्वेज नुकसानदेह साबित हो सकती है. इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकारी एजेंसियों के फीडबैक से भी उन्हें अवगत कराया. सरकारी एजेंसियों ने भी उनके बाॅडी लैंग्वेज में बदलाव की सलाह दी थी.
रविशंकर में आ रही यह कमजोरी
यह हैरत करने वाली बात है कि शाह बदल रहे हैं तो उनकी एरोगेंसी खूब पढ़े-लिखे और अपने विनम्र व्यवहार के लिए मशहूर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के काया में प्रवेश कर रही है. यह भी एक प्रेस कांफ्रेंस में ही जाहिर हुआ. प्रसाद आइटी मिनिस्ट्री की तीन साल की उपलब्धियों का बखान कर रहे थे. किसी पत्रकार ने सवाल किया-आइटी सेक्टर में नौकरियां कम हो रही हैं. लोग नौकरी से हटाए जा रहे हैं. प्रसाद नेे जवाब दिया-ऐसी बात नहीं है. रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं. जहां तक नौकरियों से हटाने का सवाल है, छंटनी तो आपके अखबार में ही हो रही है. गनीमत इतनी भर रही कि प्रसाद ने यह सब मुस्कुराते हुए कहा.