लाइव सिटीज डेस्क : केंद्र की मोदी सरकार के 3 साल पूरे हो चुके हैं. सत्ता में आने के वक्त मोदी सरकार ने करोड़ो युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन एक चौंकाने वाली रिपोर्ट से केंद्र सरकार के वादे और युवाओं के सपनों को बड़ा झटका लग सकता है.
जारी रिपोर्ट से चिंता बढ़ चुकी है. रिपोर्ट के अनुसार पिछले आठ साल का रिकॉर्ड देखें तो रोजगार लगातार घट रहे हैं और 2016 में तो यह आंकड़ा सबसे नीचे पहुंच गया. ऊपर से यह आशंका भी है कि आने वाला समय कहीं ज्यादा मुश्किलों भरा रह सकता है.
टेलिग्राफ के अनुसार, 2016 में महज 2.31 लाख नई नौकरियां पैदा हुई हैं. नए रोजगार का आकंड़ा 2009 के बाद से लगातार गिर रहा है. आठ प्रमुख सेक्टर्स की बात करें तो 2009 में 10.06 लाख लोगों को नौकरी मिली थी. वहीं 2010 में यह आंकड़ा घटकर 8.65 लाख रह गया. 2011 में मामूली सुधार देखने को मिला और उस साल 9.30 लाख नए रोजगार पैदा हुए. इसके बाद 2012 में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई. तब महज 3.22 लाख लोगों को नई नौकरियां मिलीं. मामूली उतार-चढ़ाव के साथ यह क्रम जारी है.
जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा नई योजनायें शुरु करने के बावजूद नई नौकरियां पैदा नहीं की जा सकी है. मौजूदा दौर में आईटी सेक्टर की हालत सबसे ज्यादा खराब बताई गई है.
सेक्टर | अप्रैल-दिसंबर 2016 में नए रोजगार |
1. मैन्युफेक्चरिंग | 95,000 |
2. कंस्ट्रक्शन | -25,000 |
3. ट्रेड | 26,000 |
4. ट्रांसपोर्ट | 18,000 |
5. होटल एंड रेस्त्रां | -7000 |
6. आईटी/बीपीओ | 22,000 |
7. एजूकेशन | 67,000 |
8. हेल्थकेयर | 35,000 |
8 सेक्टर्स में कुल | 2.31 लाख |
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में आर्थिक विकास भले ही अच्छी गति से हो रही हो लेकिन कागजी रिपोर्ट को दरकिनार कर दें तो हकीकत तो कुछ और ही बयान करती है. इस वित्तीय वर्ष में जीडीपी 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है. सवाल उठता है कि इसके बावजूद लोगों को नौकरियां क्यों नहीं मिल रहीं. इस बारे में एक्सर्ट्स का कहना है कि कंपनियां खर्च कम करने के लिए ऑटोमेशन और डिजिटल प्रोसेस की ओर बढ़ रही हैं. आने वाले समय में यही बात नौकरियों पर बड़ा संकट पैदा करेंगी. ऑटोमेशन से 100 लोगों का काम 5 लोगों में हो जाता है. मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरियां देने का वादा किया था, जिसका पूरा होना अब बहुत मुश्किल लग रहा है.