
गया: बोधगया के महाबोधि मंदिर में 2561वीं बुद्ध जयंती के मौके पर राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा कि बौद्ध धर्म श्रेष्ठ आचार संहिता है. इसमें जाति, रंग, नस्ल का भेदभाव नहीं है. उन्होंने वैशाख पूर्णिमा का महत्व बताते हुए बताया कि इसी दिन उनका जन्म, ज्ञान प्राप्ति व महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुई थी. उन्होंने बताया कि भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग ‘वे ऑफ लाइफ’ है. बौद्ध धर्म के अनुसार, चार आर्य सत्य की सत्यता का निश्चय करने के लिए इस मार्ग का अनुसरण करना चाहिए. सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक, सम्यक कर्म, सम्यक जीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति व सम्यक समाधि. आठों मार्ग शील समाधि व प्रज्ञा पर आधारित है.
शील में सफलता समाधि को सरल बनाती हैं, समाधि में सफलता शील को पूर्णता प्रदान करती है और समाधि में पूर्णता होने पर सम्यग्दृष्टि का स्थान प्रज्ञा ले लेती है. उन्होंने कहा कि पंचशील बौद्ध धर्म में माने गए पांच शील अथवा सदाचार हैं. ये सदाचार मानव को सदा ही संयमी और आचरणपूर्ण जीवन जीने का संदेश देते हैं. उपासकों के लिए पंचशील उपदिष्ट हैं. पंचशील में अहिंसा, अस्तेय, सत्य, अव्यभिचार और मद्यानुपसेवन संगृहीत हैं. यह स्मरणीय है कि पंचशील पंच विरतियों के रूप में अभिहित हैं, यथा प्राणातिपात से विरति, अदत्तादान से विरति इत्यादि. इससे पूर्व वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार की अहले सुबह ज्ञानभूमि में शोभायात्रा भी निकाली गई.
80 फुट बुद्ध मूर्ति के निकट से शोभायात्रा की शुरूआत साढ़े सात बजे हुई. इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट काउंसिल के अलावा महाराष्ट्र से आए नवबौद्धों ने हिस्सा लिया. इसका आयोजन बीटीएमसी ने किया था. डीएम कुमार रवि ने इसकी शुरूआत की. महाबोधि मंदिर में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी. सभी को कतारबद्ध व अनुशासित तरीके से प्रवेश कराया जा रहा था. शोभा यात्रा में सेंट एमजी विद्यालय, फो ग्वांग शान विद्यालय, मैत्रेय युनिवर्सल एजुकेशनल स्कूल, पंचशील स्कूल, मैत्री संस्था, रूट इंरूटीच्यूट सहित अन्य संस्थाओं के बच्चों ने हिस्सा लिया.
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