
नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) : जिले में पड़ रही कड़ाके की घूप ने सबों को परेशानी बढ़ा दी है. कोई तेज बुखार से परेशान हो रहा है तो कहीं डायरिया ने असर ने दिखाना शुरू किया है. जिले के कई प्रखंड इससे प्रभावित होने लगे हैं. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अबतक जिले के सिरदला, गोविंदपुर व वारिसलीगंज में नौ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों लोग पीड़ित हुए हैं. हांलांकि सच्चाई इससे कोसों दूर है. स्वस्थ्य महकमा सिर्फ खाानापूर्ति करने में लगी है. कारण चाहे जो हो लेंकिन डायरिया पीड़ितों को सवस्थ्य विभाग से निराशा का सामना करना पड़ रहा है.
उग्रवाद प्रभावित सिरदला प्रखंड की अगर बातें करें तो अकेले यहां डायरिया से एक ही परिवार के तीन की मौत के साथ कुल सात की मौत सरकार आंकड़ों में हो चुकी है. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी डायरिया पीडित गांवों में कैंप से अपना हाथ खड़ा कर लिया है. कारण चाहे जो हो. ऐसे में पीड़ितों का सहारा नीम-हकीम ही रह गया है. इसके साथ ही गोविंदपुर व वारिसलीगंज में भी डायरिया ने अपना पांव फैलाना शुरू किया है और वहां भी मौत का सिलसिला आरंभ होने के साथ एक-एक की मौत हो चुकी है. वैसे स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि जहां-जहां से डायरिया फैलने की सूचना मिली है जिलास्तरीय टीम को पीड़ित क्षेत्रों में भेजा गया है. लेकिन सच्चाई यह है कि सिर्फ इलाज के नामपर खानापूर्ति की गयी है. टीम वहां जाने के बजाय मटरगश्ती कर वापस लौटी है. हां, नरहट प्रखंड का बभनौर गांव इसका अपवाद है.
कितनों की हुई मौतः–
सिरदला प्रखंड के बांधी पंचायत मूर्तिया गांव में विदेश मांझी के 12 वर्षीय पुत्री शांति कुमारी, चैबे गांव में आठ वर्शीय गुलशन व 30 माह के डौजर, खटांगी पंचायत के आदिवासी बहुल गांव नूनथर में एक ही परिवार के बिरसा मुंडा, मुनिका मुंडा व रूद्रा मूुडा की मौत हो चुकी है. इसी प्रकार गोविंदपुर प्रखंड के हरला में कमलेश के पु़त्र व वारिसलीगंज् के चकवाय में यक की मौत डायरिया होने के सरकारी रिकाॅर्ड हैं. अन्य मौतों की बात तो करनी ही बेइमानी है. आश्चर्य की बात तो यह कि नूनथर गांव में डा़ अशोक कुमार के नेतृत्व में गयी महामारी की टीम वहां पहंचनें के बजाय मटरगश्ती कर वापस लौट गयी. ऐसे में लोगों का भरोसा सरकारी स्वास्थ्य सेवा समाप्त होने लगा है तथा वे अब नीजि चिकित्सकों की शरण में जाने मो मजबूर होने लगे हैं.
कहते हैं अधिकारीः-
गंदी बस्तीयों में डायरिया प्रकोप हो रहा है. वैसे क्षेत्रों में सूचना मिलने पर महामारी टीम को भेजी जा रही है. दवा की कोई कमी नहीं है बावजूद अगर टीम के सदस्य वहां जाने के बजाय खानापूर्ति कर रहे हैं तो इसकी जोंचोपरांत कार्रवाई की जाएगी.
डा़ श्रीनाथ प्रसाद, सिविल सर्जन, नवादा
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