
नवादा : बिहार का कश्मीर माना जाने बाला गोविंदपुर प्रखंड क्षेत्र के ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात ककोलत में लगने वाले सतुआनी मेले में देशी विदेशी सैलानियों का आना शुरू हो गया है.
शुक्रवार को सतुआनी के मौके पर करीब 10 हजार सैलानियों ने स्नान कर सर्प व गिरगिट योनि से मुक्ति की प्रार्थना कर सत्तू का भोजन ग्रहण किया.
दक्षिण कोरिया के सैलानियों ने लगायी डूबकी
दक्षिण कोरिया से आये सैलानियों ने ककोलत जलप्रपात का अवलोकन कर शीतल जल में स्नान किया. उन्होंने स्नान के बाद विकास परिषद् के यमुना पासवान द्वारा सैलानियों को सत्तू का भोजन कराया गया.वहीं विदेशी सैलानियों का स्वागत ककोलत विकास परिषद् के अध्यक्ष मसीहउद्दीन ने आगत अतिथियों का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया . उन्होंने कोकलत के इतिहास व परिषद् द्वारा किये जा रहे कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला.
बता दें ककोलत का इतिहास महाभारत काल जुड़ा है. पांडवों ने यहीं अज्ञातवास किया था. तब यहां भगवान श्रीकृष्ण का आगमन हुआ था. दुर्गाशप्तशती की रचना महर्षि मार्कण्डेय ने यहीं एकतारा में की थी. माता मदालसा ने यहीं अपने पति को कुष्ठ से मुक्ति दिलायी थी. ककोलत के पानी में तपीश मिटाने की अद्भुत क्षमता है. इसके जल के लगातार सेवन से पेट के समस्त रोग दूर होते है तो भोजन पचाने की अद्भुत क्षमता है. नायादगार समय से यहाँ बिसुआ संक्रांति यानी सतुआनी के मौके पर मेले का आयोजन होता आया है जिसमें देश विदेश के सैलानियों का आगमन होता है. वैसे गर्मी के दिनों में यहाँ प्रतिदिन सैलानियों का आगमन होता है लेकिन रविवार को इसकी संख्या बढ़कर 10 हजार से पार कर जाती है . कुल मिलाकर ककोलत मेले में सैलानियों का आगमन होने से वादियां गुलजार हो उठी हैं.
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