लाइव सिटीज डेस्क (तनवीर अहमद) : ईश्वर को खुश करने और लोगों में अपना सम्मान स्थापित करने के लिए ज़रूरी है की हम अपने स्वभाव यानी आचरण को अच्छा बनायें. यकीन जानिये, अगर आपका स्वभाव अच्छा होगा तो न केवल ईश्वर की निकटता प्राप्त होगी बल्कि सांसारिक जीवन भी सुखमयी हो जायेगा. इंसान लाख पढ़-लिख जाये और इबादत करने वाला बन जाये, लेकिन अच्छे स्वभाव का मालिक नहीं है तो उसका ज्ञान, योग्यता और इबादत तथा धर्मनिष्ठा सब बेकार है. यही कारण है कि इस्लाम में अच्छे स्वभाव को बहुत महत्त्व दिया गया है.
अल्लाह के रसूल मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमेशा अच्छे स्वभाव और आचरण के लिए लोगों को प्रेरित किया और कहा कि “मेरे नज़दीक तुम में सब से ज्यादा पसंदीदा वो है जिसका स्वभाव सब से अच्छा हो.” (बुख़ारी: 3759) एक दूसरी हदीस में तो मोहम्मद स० ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “(कयामत के दिन) तराज़ू में अच्छे स्वभाव से ज्यादा भारी कोई चीज़ न होगी, अच्छे स्वभाव वाला व्यक्ति जो दिलों को जीत ले वही असल विजेता है.” इतना ही नहीं, आखिरी पैग़म्बर मोहम्मद स० ने बुरा स्वभाव करने वालों को इस से रोका और कहा कि “अल्लाह के नज़दीक सब से ज्यादा घृणित व्यक्ति वो है जो जिद्दी और झगड़ालू हो.” (तिरमिज़ी: 2976)
उपरोक्त हदीसों से स्पष्ट होता है कि इस्लाम में अच्छे स्वभाव का क्या महत्त्व है, बल्कि ये कहना किसी भी तरह गलत न होगा कि अच्छे स्वभाव के बिना इस्लाम बेजान है. हज़रत हसन बसरी ने इस सम्बन्ध में क्या खूब बात कही है कि “धैर्य और सहनशीलता तथा बदला लेने के ख्याल को छोड़ देना अच्छे स्वभाव का सब से बेहतरीन नमूना है.”

बहरहाल, ये सोचने का समय है कि क्या हमारा स्वभाव दूसरों के प्रति ठीक है, क्या हम अपने घर वालों और पड़ोसियों तथा जिनके साथ हम दफ्तरों में काम करते हैं, उनके साथ अच्छा आचरण रखते हैं? खुद से किया गया ये प्रश्न अधिकतर लोगों का सर शर्म से झुका देगा. लेकिन अब भी समय है, आप खुद को बदलें, अपने स्वभाव को बदलें और “दीन तथा दुनिया” में सम्मान प्राप्त करें.