पटना : केंद्र सरकार ने गुरुवार को ही एलान कर दिया है कि देश की जनता कितना सोना अपने पास रख सकती है. विवाहित महिलाओं को सबसे ज्यादा 500 ग्राम तक रखने की छूट है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड का इम्पोर्टर है. इस बीच दुनिया में एक ऐसा देश भी है जिसके पास गोल्ड है ही नहीं. फिर भी यह सबसे धनी देशों में से एक है. उस देश का नाम है ‘नॉर्वे.’
नॉर्वे में ही रहते हैं अपने बिहार के मधुबनी के डॉ. प्रवीण झा. पेशे से रेडियोलाजिस्ट हैं लेकिन दिल से राइटर हैं. ब्लॉगर हैं. सोशल मीडिया की हिंदी पट्टी के चर्चित शख्सियत हैं. ‘चमनलाल की डायरी’ नाम से किताब भी लिख चुके हैं. वो बता रहे हैं कि यूरोप के सबसे धनी देशों में एक नॉर्वे में किसी के पास सोना नहीं है. फिर यहां काम कैसे चलता है, आगे प्रवीण के ही शब्दों में पढ़ें :
“मेरे विभाग में 18 महिलाएं और तीन पुरूष हैं. सोने की एक पतली चेन बस मेरे गले में है. सोना तो छोड़िए, चांदी-पीतल कुछ नहीं है. न ही अब तक कोई ‘ज्वेलर्स’ की दुकान देखी है शहर में.
विश्व के सभी धनी देश जैसे अमरीका , इटली , फ्रांस या अपना पड़ोसी चीन काफी सोना बैंक में रखते हैं. इनका ‘गोल्ड-रिजर्व’ बहुत बड़ा है. नॉर्वे के बैंकों ने अपना सारा सोना 2004 में बेच दिया. अब बस 7 souvenir पीस बचे हैं, और एक पीस संग्रहालय में है. यूरोप के सबसे धनी देशों में एक नॉर्वे के पास सोना ही नहीं है.
मुझे यह तर्क लगा कि यह तेल के भरोसे हैं, इसलिए सोना नहीं रखते. पर अरब में तो तेल भी है, सोना भी खूब. भला कोई देश जिसके बैंक में ‘गोल्ड’ ही नहीं, एक ‘वेलफेयर स्टेट’ कैसे हो सकता है ? हर चीज मुफ्त कैसे कर सकता है ?
औरतें गोल्ड नहीं पहनती, लोग नगद नहीं रखते, और कहते हैं करोड़पतियों का देश है. मतलब यह देश ‘कैश-लेस’ और ‘गोल्ड-लेस’ है, समझ नहीं आता फिर चलता कैसे है ?”