पटनाः लाइवसिटीज बिहार में शिक्षा की दुकानदारी को लेकर रोज नये खुलासे कर रहा है. मकसद असली टैलेंट को हक दिलाना और ठेकेदारों को नंगा करना है. लाइवसिटीज का इंपैक्ट है कि फर्जीवाड़ा कर टॉपर बना गणेश जेल जा चुका है. संडे को लाइवसिटीज ने समस्तीपुर में EXAM TOURISM की चर्चा की थी. बताया था कि कैसे सीबीएसई की परीक्षाओं का भी समस्तीपुर में सौदा होता है. बड़े ठेकेदार पटना के स्कूल वाले श्रीवास्तव जी के धंधे की आहट दी थी. फिर तो,लाइव सिटीज की स्पेशल रिपोर्टिंग टीम (एसआरटी) के पास सूचनाओं के लिए फ्लडगेट ही खुल गया. आम और खास से सूचनाएं मिलने लगी.
कारण कई हैं, बिहार बोर्ड के 12वीं के नतीजे कितने खराब हुए,सबों को पता है. हंगामा बरपा हुआ है. बिहार बोर्ड के नतीजों के बाद सीबीएसई ने 10वीं के नतीजे घोषित किये. पता चला कि पटना जोन का रिजल्ट 95 फीसदी है. दिल्ली को भी पछाड़ दिया. बिहार में मेधा है,कोई शक नहीं. तभी तो बिहार को आईएएस पैदा करने वालों की फैक्ट्री माना जाता है. पर,आजकल असली मेधा की बदनामी नकली मेधा वाले करा रहे हैं. बिहार बोर्ड को 10वीं मतलब मैट्रिक की परीक्षाओं का रिजल्ट अभी देना है. 15 जून को एलान की खबरें हैं. जाहिर तौर पर,परीक्षा में जैसी सख्ती थी,फिर रिजल्ट खराब होगा. तब और बखेड़ा होना है. तुलना सीबीएसई स्कूलों के परफार्मेंस से होने लगेगी. समझने को कुछ तथ्यों से आपको मुखतिब कराते हैं.
फोन आया, कहा- आप ठीक ही कह रहे हैं
समस्तीपुर में सीबीएसई की परीक्षाओं के वक्त एग्जाम टूरिज्म की रिपोर्ट जैसे ही संडे को लाइव सिटीज ने पब्लिश की,टीम के पास पटना के एक बड़े आदमी का फोन आया. बोले-ठीक ही लिख रहे हैं. मेरा ड्राइवर भी सटर्डे से बहुत खुश है. आगे उन्होंने जैसा बताया, उसे ठीक से समझिए.
बड़े आदमी के ड्राइवर का बेटा बिहार बोर्ड में मैट्रिक की परीक्षा दो बार पहले फेल कर चुका था. पिता-पुत्र दोनों बहुत परेशान थे. दिक्कत यह है कि आजकल दिल्ली और बड़े शहरों में ड्राइवर की नौकरी के लिए भी 10वीं पास होना अनिवार्य हो गया है. ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत करने के नियम भी सख्त होते जा रहे हैं.
बिहार बोर्ड में दो बार फेल कर चुके बेटे के ड्राइवर पिता को 2015 में कोई समझदार आदमी मिल गया. उसने, जमुई जिले के एक स्कूल का पता बता दिया. परीक्षा में पास करा देने की गारंटी दी. यह प्राइवेट स्कूल सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त था. पिता ने दान-दक्षिणा देकर बेटे का दाखिला करा दिया. रजिस्ट्रेशन वगैरह हो गया . स्कूल अटेंड करने की अनिवार्यता नहीं थी. सिर्फ परीक्षा के समय आना था. बेटे को पढ़ने की आदत पहले से नहीं थी,सो अब भी वह फोकस करने को बाध्य नहीं था.
स्कूल ने वसूली गई कीमत के बदले किये गये वायदे को पूर्ण किया. तभी तो सीबीएसई ने जब पिछले हफ्ते 10वीं के नतीजे घोषित किये,तो यह बेटा 9.4 सीजीपीए मतलब डिस्टिंकशन सहित फर्स्ट डिवीजन वाले मार्क्स से पास हो गया. सच में,लिख लोढ़ा-पढ़ पत्थर ही है,पर सीबीएसई का सर्टिफिकेट अब पास में होगा और वह कहीं भी एप्लाई कर सकेगा.
ऐसा कैसे होता है, अब ठीक से समझिए
बिहार बोर्ड में मैट्रिक की परीक्षा में लगातार फेल होने वाला सीबीएसई बोर्ड में 9.4 सीजीपीए कैसे ले आया, समझने की जरुरत है. दरअसल, यह बहुत आसान है. बिहार बोर्ड से मैट्रिक पास होना आज भी टफ और सीबीएसई से पास हो जाना आसान है.
कारण यह कि बिहार बोर्ड से बिना पढ़े-लिखे मैट्रिक की परीक्षा पास करनी है, तो आज भी आपको कई स्टेप से गुजरने होंगे. सबसे पहले, बिना पढ़े परीक्षा पास करा देने वाले स्कूल को तलाशिए. चलिए, यह मिल भी गया. अब दूसरे स्टेप में परीक्षा का सेंटर कहीं ऐसे स्कूल में हो, जहां कदाचार की खुली छूट हो. कदाचार की छूट है तो पुर्जा-चिट्ठा तैयार करने वाला भी कोई मिले. सेंटर के खर्चे के लिए धन की जरुरत अलग से है. स्टूडेंट एकदमे भुसकोल है तो बदले में लिखने वाला कोई मिले. सेंटर की सेटिंग थोडी-सी भी गड़बड़ हुई,तो फिर पूरा प्लान फेल. अब आगे कापियों की जांच के वक्त जुगाड़ लगाइए. बच्चे से जानिए कि कौन-सा पेपर खराब गया था, जिसमें जी-जान लगाकर पैरवी करनी होगी. यहां भी गड़बड़ी रह गई तो बोर्ड ऑफिस के बाबू के हाथों से ठगे जाइए,जो सब कुछ ठीक कर देने की गारंटी देंगे.
लेकिन सीबीएसई से मान्यता लेकर दुकानदारी चलाने वाले स्कूलों में यह सिंगल स्टेप का काम है. बस, सौदा ठीक से पटा रहे. सीबीएसई में 10वीं की परीक्षाएं दो तरीकों से ली जाती है,जिसे स्कूल बेस्ड और बोर्ड बेस्ड कहते हैं. गिने-चुने स्कूलों को छोड़कर सभी स्कूल बेस्ड परीक्षा ही ऑप्ट करते हैं. लेकिन, आपको यह बता दें कि सभी धांधली नहीं करते, धांधली करने वालों की प्रजाति तो अलग और अधिक ही है. यहां सभी परीक्षाएं अपने स्कूल में ही होती है. कॉपी भी स्कूल के टीचर ही जांचते हैं. मार्क्स नहीं ग्रेड दिया जाता है. सब अपने हाथ में ही है, तो किसी को भी पास करेंगे. बोर्ड में कोई कंप्लेन करने थोड़े न जा रहा. सौदे के हिसाब से ग्रेड मिल जाता है.
जानकार कहेंगे कि सीबीएसई से संबद्धता प्राप्त किसी स्कूल के स्टैंडर्ड का असली पता जानना हो, तो 10वीं में बोर्ड बेस्ड परीक्षा को ऑप्ट करने वाले स्टूडेंट्स का रिजल्ट देखें. अब जानिए यह कि स्कूलों के इस खेल की पूरी जानकारी केन्द्र सरकार को है. शिकायतें मिल रही थीं. सरकार ने भी माना है कि 10वीं में बिना आधार के रिजल्ट के प्रतिशत का बढ़ जाना गंभीर बात है. तभी तो अगले साल से स्कूल बेस्ड परीक्षा को खत्म करने का फैसला हो रहा है.
आग भड़क रही है
संडे को लाइव सिटीज ने जब सीबीएसई परीक्षाओं में एग्जाम टूरिज्म की बात की तो बहस सोशल मीडिया में शुरु हो गई. कई स्कूलों का राज कई लोग खोल कर रहे हैं. इनसबों में सुशील कुमार का सवालों के साथ किया गया पोस्ट नोटिस किये जाने लायक है. सुशील बिहार पुलिस में एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी हैं. साहित्य साधक भी हैं. उन्होंने पटना के एक स्कूल का जिक्र करते हुए नतीजे पर सवाल खड़े किए हैं. यहां पब्लिश पोसट में उनके फेसबुक पोस्ट के स्क्रीनशॉट को देखें. उन्होंने मीडिया से इसकी पड़ताल करने को कहा है.