पटनाः लाइवसिटीज मीडिया कभी झूठ को आगे नहीं बढ़ने देता. सिर्फ सच को सामने लाता है. इंटर आर्ट्स टॉपर गणेश कुमार में गड़बड़ी थी, सो लाइवसिटीज ने लंबी जांच कर झूठ का तना पर्दा फाड़ दिया. पहले बहस हुई, फिर गणेश को जेल भेजना ही पड़ा. लाइव सिटीज ने फर्जी गणेश का पूरा ऑपरेशन इसलिए किया, ताकि हक असली हकदार को मिले. गणेश का रिजल्ट रद होने के बाद मधुबनी की नेहा आर्ट्स में स्टेट टॉपर बन गई है.
लाइव सिटीज की स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम जब ऑपरेशन गणेश में लगी थी, तभी व्हाट्सएप ग्रुप्स में एक पर्चा वायरल होने लगा. बाद में, यह फेसबुक और ट्विटर पर भी दिखा. पर्चा देख, पहले तो लगा कि यह तो अनर्थ ही हो गया. सिर्फ गणेश के रिजल्ट में ही झोल नहीं, पूरा नतीजा बमबोल है. पर्चा फैलाने की मूल साजिश रचने वाले ने कहानी अच्छी गढ़ दी थी. बहुत होशियारी से दस रौल नंबर दिखाए थे, सभी सीरियल में. सबों के नंबर बहुत अच्छे थे. सभी फर्स्ट डिवीजन पास. कहा गया कि ठीक से देखिए, सभी एक ही रुम में बैठे हैं. शक को बहुत अधिक गहरा कर दिया गया. अंत में, अनुरोध कि इसे फारवर्ड करते चलिए.
पर्चा किसी ने भी एकबारगी देखा, तो चकराया. अब सभी जांच तो सकते नहीं थे. सो,फारवर्ड कर वायरल कर दिया. कई जगहें खबर चलने लगी. पर,लाइवसिटीज ने इसे सूंघा. तथ्यों की जांच करने वाली एक्सपर्ट टीम को सही-गलत का पता करने को कहा गया. टीम ने कुछ घंटे लिए और फिर पूरी कहानी सामने लाकर रख दी. यह तो बिहार को बदनाम करने का गढ़ा हुआ षड्यंत्र निकला.
पर्चा में दिए गए सभी रौल नंबर सही हैं. नतीजे के नंबर भी ठीक हैं. इसमें साइंस की स्टेट टॉपर खुशबू का भी रौल नंबर शामिल है. दरअसल, इस पर्चा के माध्यम बिहार को बदनाम करने का षड्यंत्र रचने वाले ने साजिश के तहत कई सारे तथ्य गोल कर दिए थे. पर्चा में जो भी रौल नंबर और नाम है, वे सभी जमुई के सिमुलतला के आवासीय विद्यालय के स्टूडेंट्स हैं. इनका रिकार्ड तो स्थापना काल से ही शानदार रहा है . इस स्कूल की स्थापना बिहार ने झारखंड के निर्माण के बाद नेतरहाट विद्यालय के तर्ज पर की थी.
सिमुलतला के आवासीय विद्यालय में एडमिशन भी स्टेट कंपीटिशन के माध्यम से होता है. प्रत्येक साल टॉपर्स सूची में इस स्कूल के स्टूडेंट्स होते हैं. फर्स्ट डिवीजन से कम शायद ही कोई स्टूडेंट आता हो. सो, इस स्कूल का नाम बताये बगैर दस स्टूडेंट के नतीजों को जारी कर पर्चा के माध्यम से बिहार को बदनाम करने की साजिश रची गई थी. एक ही स्कूल के स्टूडेंट हैं तो रौल नंबर सीरियल में ही होगा और आगे-पीछे ही एग्जामिनेशन हॉल में बैठेंगे. इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है.
सच तो यह है कि इस स्कूल से साइंस स्ट्रीम में स्टेट टॉपर हुई खुशबू कम नंबर मिलने की शिकायत कर कॉपियों की जांच को चुनौती दे रही है. उसे अपने टैलेंट पर पूरा भरोसा है . जेईई मेंस की प्रतियोगिता परीक्षा पास कर चुकी है और एडवांस के रिजल्ट का इंतजार कर रही है. तो इस तरीके से पूर्ण जांच के बाद लाइव सिटीज वायरल पर्चे को फर्जी साबित करती है.