लाइव सिटीज, सेंट्रल डेस्क : 9 महीने के बाद पटना हाईकोर्ट में आज फिजिकल सुनवाई हुई. कोर्ट रूम का स्वरूप बदला बदला सा दिखा. शीशे के भारी भरकम दीवर के उस पार जज साहब बैठकर मामले की सुनवाई करते दिखे तो शीशे के इस पार से वकील बहस में भाग लेते रहे. एक बार में केवल चार वकीलों के ही कुर्सी की व्यवस्था कोर्ट रूम में की गयी थी. शीशे की दीवार के बीच में पेशकार और स्टेनों के बैठने की व्यवस्था थी. बरामदे में अपनी बारी का इंतजार करने वाले वकीलों के लिए कुर्सी की व्यवस्था की गई थी.
कोरोना के पहले जहां किसी प्रकार की बंदिश नहीं थी और सबकुछ सहज तरीके से चल रहा था. फरियादी आसानी से कोर्ट परिसर में आकर अपने वकील से मुलाकात कर सकते थे. लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हो सकेगा. पहले फरियादी अपने मुकदमे के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते थे. लेकिन कोरोना काल के इस फिजिकल सुनवाई में किसी भी फरियादी को कोर्ट परिसर में आने की अनुमति नहीं है. कोर्ट में केवल वही वकील आ सकेंगे जिनका मुकदमा सुनवाई के लिए किसी कोर्ट में सूचीबद्ध होगा. वकीलों को ई-पास लेना होगा.

कोरोना काल के पहले और कोरोना काल के दौरान शुरु हो रहे फिजिकल सुनवाई में बहुत बड़ा अंतर दिखायी दे रहा है. पहले वकीलों को अपने मुकदमे को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कराने के लिए चीफ जस्टिस के कोर्ट में अनुरोध करने की छूट थी. लेकिन अब यह सुविधा किसी भी वकील को उपलब्ध नहीं होगा. जिन वकीलों के जितने मुकदमे होंगे, उतने ही ई-पास उन्हें ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएंगे.